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शब्द तेरे लिए हैं अपने मायना खुद लगा मेरे या किसी और के अर्थ किताबों से बाहर आ भी जाएं तो क्या तेरे लिए तो वो तब तक शब्द ही होंगे जब तक तेरे मायना न होंगे
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