व्यंग्य अपमान नहीं वरन विसंगतियों पर चोट है : डॉ.चारण बीकानेर 01 जुलाई 2017। साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली और मुक्ति संस्थान की ओर से नेहरू शारदा पीठ महाविद्यालय में दो दिवसीय राजस्थानी व्यंग्य विधा पर शनिवार को सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष साहित्य अकादेमी के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक नाटकार कवि डॉ.अर्जुनदेव चारण ने कहा कि राजस्थानी में व्यंग्य साहित्य चेतना जगाने वाला है, व्यंग्य साहित्य का उद्देश्य किसी का अपमान करना नहीं वरन विसंगतियों पर चोट करना होता है जिससे लोक-चेतना को जगाया जा सके। मुख्य अतिथि वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ.मदन केवलिया ने कहा कि हास्य और व्यंग्य दो अलग-अलग चीज है। उन्होंने हिंदी और राजस्थानी व्यंग्य में अधिक काम की आवश्यकता बताई व कहा कि हिंदी की तुलना में राजस्थानी में बेहतर काम हुआ है। कार्यक्रम के प्रारंभ में अकादेमी के प्रतिनिधि के रूप में शांतनु गंगोपाध्याय ने स्वागत करते हुए कहा कि राजस्थानी व्यंग्य के क्षेत्र में यह सेमिनार एक मील का पत्थर साबित होगा। मुक्ति के सचिव राजेंद्र जोशी ने इस मौके पर कहा कि व्यंग्य विधा को
2010 से ब्लागिंग की दुनिया में औरों से हटकर सबसे मिलकर