संदेश
कब से ताक रहा था
परेशां सूरज
कोहरे में सिमटा रास्ता
जमीं चूमने को
बेताब थी किरणें
- शुभ मंगल दिवस साथियों... नमस्कार।
कब से ताक रहा था
परेशां सूरज
कोहरे में सिमटा रास्ता
जमीं चूमने को
बेताब थी किरणें
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