अध्यात्म और प्रबंधन - 1 कर्म, प्रबंधन और फल ं भीतर के द्वन्द्व और उमड़ते विचारों को षब्दाकार देना अज्ञान को दूर करने के लिए ज्ञान की खोज में षब्दयात्रा है। यह भी कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भले ही हो लेकिन विचारों से किसी को ठेस पहुंचती हो तो अग्रिम क्षमायाचना। हां, विद्वानों का मार्गदर्षन मिल जाए तो जीवन सफल हो जाए। भारतीय संस्कृति में जीवन की सफलता की खोज अध्यात्म के माध्यम से की जाती रही है। अध्यात्म में भी कुषल प्रबंधन को मैंने महसूस किया है तो इसके लिए कर्म किया जाना भी अनिवार्य लगा है। अध्यात्म में कर्म है ज्ञान प्राप्ति का प्रयास। और जीवन की सफलता को फल कह सकते है। जीवन प्रबंधन से ही व्यवस्थित और सुखमय हो सकता है। बिना प्रबंधन के तो चींटी भी नहीं जीती। चींटी ही क्यों, प्रत्येक प्राणी को समूह में जीते ही हम देखते हैं। ऐसा कोई प्राणी नहीं जो अकेला जीता हो या आज तक जीया हो। पेड़-पौधों को भी समूह में लहलहाना अच्छा लगता है क्योंकि वे भी बीज रूप से प्रस्फुटित होने से लेकर मुरझाने तक एक कुषल प्रबंधन प्रणाली से विकसित होते हैं, फल देते हैं। जीवन का मकसद ही फल देना है।
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