हिंदी कविता - मोहन थानवी
हां कोई और हैं वो
इस सभ्य युग से घृणा करने वाले/वालों को खोजने निकल पड़े हैं लोग तलाशा जा रहा है उन्हें शवों के जंगल में जहां बीज नहीं भ…
इस सभ्य युग से घृणा करने वाले/वालों को खोजने निकल पड़े हैं लोग तलाशा जा रहा है उन्हें शवों के जंगल में जहां बीज नहीं भ…