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मतदाताओं की मंशा की थाह नहीं, लहर नदारद, हवा के रुख का भी आभास नहीं

खबरों में बीकानेर 🎤
मतदाताओं की मंशा की थाह नहीं, लहर नदारद, हवा के रुख का भी आभास नहीं

( आकड़ों के जाल में लहर नदारद, हवा के रुख का आभास भी नहीं) 
. ✍️ मोहन थानवी 
आंकड़ों के मकड़जाल से कौन सी राजनीतिक पार्टी बाहर निकल सकेगी यह तो मतगणना के बाद परिणाम घोषित होने पर पता चलेगा। किंतु भावी प्रत्याशियों और लगभग सभी राजनीतिक दलों को बीकानेर जिले की मतदाताओं की मंशा जानने की जो उत्सुकता है उसमें पिछले चुनाव के मुकाबले में बढ़े हुए 20% मतदाताओं ने और रोचकता पैदा कर दी है। राजनीति के जानकार यह बात पुख्ता तौर पर कहते सुने जा रहे हैं बीकानेर जिले की 7 विधानसभा सीटों पर इस बार के विधानसभा चुनावों में परिणाम अप्रत्याशित रहेंगे।  क्योंकि जो 20% मतदाता बढ़े हुए हैं उनकी और बदली हुई परिस्थितियों में बीते चुनावों में मतदान करने वाले मतदाताओं की मंशा अब तक सामने नहीं आ सकी है।  लेकिन युवा मतदाताओं को राजनीतिक जगत में हो रही गतिविधियों के प्रति उत्सुकता है और उनके रुझान को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भाजपा और कांग्रेस के अलावा तीसरा मोर्चा खड़ा करने का दावा करने वाले जो नेता मैदान में उतर रहे हैं उनकी ओर भी युवा मतदाताओं ने अपनी रुचि प्रदर्शित की है। आकड़ों का जाल बताता है कि  जिले की 7 विधानसभा सीटों पर कुल करीब करीब 20% बढ़े हुए सहित कुल 15 लाख 61 हजार 294  मतदाताओं के मुकाबले गत विधानसभा चुनाव में जिले में कुल 13 लाख 17 हजार 830 मतदाता थे। जिले में 75.74 प्रतिशत मतदान हुआ तथा 9 लाख 96 हजार 761 मतदाताओं ने वोट डाले। नोखा विधान सभा क्षेत्र में सर्वाधिक मतदान हुआ जहां 79.02 प्रतिशत मत डाले गए।  डूंगरगढ़ में सर्वाधिक पुरूष मतदाताओं ने डाले वोट जहां पुरूष मतदान 80.50 प्रतिशत रहा। नोखा में सर्वाधिक महिलाओं ने वोट डाले जहां, 77.77 महिला का वोटिंग टर्न आउट प्रतिशत रहा। जबकि इस बार करीब 20% बढ़े हुए मतदाताओं के साथ विधानसभा चुनाव 2018 में जिले में कुल 15 लाख 61 हजार 294 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे। इनमें  8 लाख 25 हजार 235 पुरूष मतदाता तथा 7 लाख 36 हजार 59 महिला मतदाता शामिल है। यह तय है की बढ़ी हुई मतदाताओं की संख्या का प्रभाव तो चुनाव परिणामों पर पड़ेगा ही साथ ही यह भी स्पष्ट है की राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में माहौल  पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले कुछ बदला हुआ है । उस वक्त भाजपा के पक्ष में हवाएं चल रही थी । जबकि इस बार नाम मात्र की हवा भी भाजपा के पक्ष में नजर नहीं आ रही है।  किंतु इसका यह अर्थ भी नहीं कि कांग्रेस के पक्ष में हवाएं चल रही है।  इस बार हवा का रुख किसी के भी पक्ष में नजर नहीं आ रहा और यही स्थिति राजनीतिक हलकों में विश्लेषण का विषय बनी हुई है।

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