खबरों में बीकानेर 🎤 :: 70 सालों से चल रही है रंगा की कलम, 11 पुस्तकों का लोकार्पण 7 अक्टूबर को होगा

*खबरों में बीकानेर 🎤*
एक ही लेखक की 11 पुस्तकों का लोकार्पण 7 अक्टूबर को होगा
 बीकानेर । वरिष्ठ साहित्यकार एवं रंगकर्मी लक्ष्मीनारायण रंगा की 11 पुस्तकों का जन-पाठक अर्पण-समारोह 7 अक्टूबर 2018 को आयोजित होगा। राजस्थानी युवा लेखक संघ, प्रज्ञालय संस्थान के तत्वावधान में सहयोगी संस्थाओं द्वारा धरणीधर रंगमंच पर शाम 5:00 बजे प्रस्तावित समारोह में नगर की तमाम साहित्यिक-सांस्कृतिक, कला संस्थाओं के प्रतिनिधियों की साक्षी रहेगी।

रंगा 1948 से अनवरत सृजनरत्

 रंगा ने 1948 में चिराग नाटक लिखा। 1952 में उसका मंचन करवाया। 1955 में गंगा थियेटर बीकानेर में 9 दिन का यूथ फेस्टिवल अपने नेतृत्व में करवाया । वहीं रंग साधना के चलते 1957 में नाट्य संस्था का गठन किया।  रंगमंच पर बीकानेर में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते-निभाते रोटी-रोजी के लिए जयपुर प्रस्थान कर गए । जयपुर में रहते हुए आपने राजस्थान में बाल रंगमंच की स्थापना की और उसे मूर्त रूप देने में समर्पित भाव से लगे रहे।  साथ ही रविंद्र रंगमंच पर आप बतौर नाटककार लेखक निर्देशक और अभिनेता के रूप में अपनी विशिष्ट छवि बनाई।  रंग साधना करते हुए जयपुर के रंग-जगत में अपनी भूमिका निभाते रहे।   जयपुर से अनेक प्रकाशकों के माध्यम से आपकी साहित्यिक एवं एवं शैक्षणिक पुस्तकों का निरंतर प्रकाशन होता रहा ।  साथ ही अपनी जन्मभूमि बीकानेर में अपनी मातृभाषा राजस्थानी के लिए और उसकी मान्यता के लिए एक आंदोलन कर्ता के रूप में भी अपनी भूमिका निभाते रहे । आप देश में राजस्थानी मान्यता के पहले धरने कोट गेट पर 1980 में जयपुर से यहां आए वहीं आपने पहली बार 1982 में हरीश भादानी  की अध्यक्षता में दूसरी राजभाषा का कांसेप्ट प्रदेश में दिया और आंदोलन को नवीन दिशा की ओर मोड़ा । साथ ही 1983 के करीब प्रदेश में पहली बार प्राथमिक शिक्षा राजस्थानी में हो, इस महत्वपूर्ण विषय पर आनंद निकेतन बीकानेर में आयोजित महत्वपूर्ण विचार गोष्ठी में अपनी भूमिका निभाई । इस तरह आपने 80 से आज तक राजस्थानी युवा लेखक संघ को अपना मार्गदर्शन देते हुए राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन की धार को तेज किया।  साथ ही राजस्थानी भाषा मान्यता संबंधित आलेख भी लिखे। ऐसे रंगा के 7 दशकों की सृजन एवं रचनात्मक यात्रा के इस पड़ाव पर 11 पुस्तकों का एक साथ लोकार्पण होना साहित्यिक जगत का विशिष्ट क्षण आएगा 7 अक्टूबर 2018 को ।
-  ✍️ मोहन थानवी

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