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जो मेरे वास्ते कुर्सी लगाया करता था /वो मेरी कुर्सी से कुर्सी लगाके बैठ गया


कवि चौपाल 

जलगांव के नौजवान शाइर ज़ुबैर अली 'ताबिश' के सम्मान में शे'री-नशिस्त हुई
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 बीकानेर 10 जून 2018
'दरख़्त काट के जब थक गया लकड़हारा /तो इक दरख़्त के साए में जाके बैठ गया | |जो मेरे वास्ते कुर्सी लगाया करता था /वो मेरी कुर्सी से कुर्सी लगाके बैठ गया |'
नए अंदाज और जदीद लब्बो-लहजे की शाइरी से श्री शांति निवास होटल के हॉल में श्रोता  बेहतरीन शाइरी का लुत्फ़ लेते रहे | मौक़ा था  देश का नाम रोशन करने वाले जलगांव के नौजवान शाइर ज़ुबैर अली 'ताबिश' के सम्मान में राष्ट्रीय कवि चौपाल  द्वारा आयोजित शे'री-नशिस्त का |   अध्यक्ष शाइर क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि कार्यक्रम में  शाइर ज़ुबैर अली ताबिश को संस्था की तरफ से शॉल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह एवं माल्यार्पण अर्पित करके सम्मानित किया गया | अध्यक्षता वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने करते हुए ज़ुबैर अली ताबिश को आला दर्जे का शाइर बताया।  मुख्य अतिथि उर्दू अदीब डॉ. मोहम्मद हुसैन ने कहा कि शाइरी के मैदान में अभी से ज़ुबैर अली ताबिश की शाइरी में वो कशिश है कि आने वाले वक्त में वो बहुत कामयाबी हासिल करेंगे | विशिष्ट अतिथि शाइरा डॉ. मंजु कछावा 'अना', बासनी नागौर के नौजवान शाइर इरफ़ान नोमानी जाहिदी , शाइर डॉ. ज़िया उल हसन क़ादरी,' बुनियाद हुसैन 'ज़हीन', असद अली 'असद', इंजीनियर निर्मल कुमार शर्मा ,'गिरिराज पारीक ', माजिद ख़ान ग़ौरी , हनुमंत  गौड़  सोनू लोहमरोड़  डॉ. सुलक्षणा दत्ता ने भी शेर सुनाए। आभार संस्कृतिकर्मी मुनीन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री ने ज्ञापित किया | 
 - Mohan Thanvi

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