कृषकों को भी जीएसटी पंजीकरण कराने से छूट

कृषि, वानिकी, मत्‍स्‍य पालन अ‍थवा पशुपालन से जुड़ी सहायक सेवाएं जीएसटी से मुक्‍त हैं

किसानों से संबंधित जीएसटी कानून और कराधान में जुलाई, 2017 से लेकर अब तक कोई बदलाव नहीं

    मीडिया के एक वर्ग में इस आशय की खबर आई है कि किसानों से संबंधित जीएसटी कानून में कुछ संशोधन किए गए हैं, जो 1 जून, 2018 से प्रभावी होंगे और इन परिवर्तनों के मुताबिक किसानों द्वारा अपनी भूमि को पट्टे (लीज) पर देने की स्थिति में उनके लिए पंजीकरण कराना और 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान करना आवश्‍यक होगा।
      यह समाचार तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है। जुलाई, 2017 में जीएसटी (वस्‍तु एवं सेवा कर) को लागू करने के बाद से लेकर अब तक किसानों से संबंधित जीएसटी कानून और कराधान में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कृषि, वानिकी, मत्‍स्‍य पालन अथवा पशुपालन से संबंधित सहायक सेवाओं को जीएसटी से मुक्‍त रखा गया है। इस तरह की छूट प्राप्‍त सहायक सेवाओं में रिक्‍त पड़ी भूमि को इसके उपयोग के लिए संलग्‍न संरचना के साथ अथवा इसके बगैर ही किराये या पट्टे पर देना भी शामिल है। अत: बटाई (पैदावार में हिस्‍सेदारी) या किसी अन्‍य व्‍यवस्‍था के आधार पर कृषि, वानिकी, मत्‍स्‍य पालन अथवा पशुपालन के लिए किसानों द्वारा अपनी भूमि को किराये अथवा पट्टे पर देना भी जीएसटी से मुक्‍त है।
     इसके अलावा, कृषकों को भी जीएसटी पंजीकरण कराने से मुक्‍त कर दिया गया है। कृषक को एक ऐसे व्‍यक्ति अथवा एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) के रूप में परिभाषित किया गया है, जो निम्‍नलिखित तरीके से खेती करता है :
  • खुद के श्रम के जरिए
  • परिवार के श्रम के जरिए
  • नौकरों अथवा नकद या किसी वस्‍तु के रूप में देय मजदूरी के जरिए या निजी देखरेख अथवा परिवार के किसी सदस्‍य की निजी देखरेख के तहत किराये पर रखे गए श्रमिकों के जरिए

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