एलियन से केदार साहब ने मिलवाया मुझे

रात का नहीं दिन का ही समय था । मैं लिख रहा था।  अपना नावल केदार साहब ।  कथानक में  दादी का पात्र आया व केदार साहब को बताया कि हमारे समय से भी पहले महाभारत खंड के किसी हिस्से में जब दीवारों पर चित्र बनाकर पूजन किया जाता था और वह चित्र किसके थे  देवी देवताओं के कुल देवी देवताओं के।  वे थीं एलियन की तस्वीरें। दरअसल एलियन हम आज संबोधित कर रहे हैं । तब यक्ष देवी देवता या किसी और नाम से संबोधित किया जाता रहा होगा। तब लिपियों में कुछ लिख लिया । जो लिपियां लुप्त हो चुकी है । शब्द बदल गए हैं किंतु पात्र और भावार्थ तो वही कौतुकभरे है । पौराणिक कथाओं में भी और दंतकथाओं में भी। और कल भी पक्का वैसे ही आओगे जैसे बीते कल और आज के आज में हम पा रहे हैं। वही, एलियन।
एलियन । भले ही किसी ने एलियन को देखा या नहीं देखा हो। एक और दुनिया भी है, वैज्ञानिकों की दुनिया।...
दूसरे ग्रह के प्राणी इस धरा पर आते थे ? ? ?  जिन्हें हम आज एलियन संबोधन से जानने का प्रयास कर रहे हैं ! एलियन ऐसा ही पात्र है। बीते वर्षों में एलियन के पात्र के साथ सेलोलाइड पर रची गई मायावी रचना देखने वालों के लिए एलियन डरावना नहीं बल्कि मित्र समान बन गया। खास तौर से बच्चों के साथ फिल्माए एलियन पात्र के सीन लोगों में एलियन के प्रति लगाव का भाव जगाने वाले रहे। फिल्म थी कोई मिल गया। आज किसी के लिए एलियन नया शब्द नहीं है। भले ही किसी ने एलियन को देखा या नहीं देखा हो। एक और दुनिया भी है, वैज्ञानिकों की दुनिया। कितने ही  वैज्ञानिक हर बात, हर पात्र, हर चीज को अपने नजरिये से, विभिन्न पहलुओं से देखते और संभावनाएं तलाशते रहते हैं। एलियन के बारे में भी विज्ञान की दुनिया में शोध कार्य चलते रहे हैं। आम आदमी के मन में भी ऐसे अनजान किंतु समाज पर अपना प्रभाव डालने वाले पात्रों के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न होती है। ऐसे ही विचारो के साथ जब लोक कथाओं, पौराणिक कथाओं में कतिपय पात्रों की ओर ध्यान जाता है तो वे इस लोक के नहीं लगते। ऐसी कथाएं याद आ रही हैं जिनमें उड़न खटोले का जिक्र है। बोलने वाले जानवरों, उड़ने वाले मनुष्यों, पलभर में गायब हो जाने वाले पात्रों के कारनामों से भरी ऐसी कथाएं, लोक कथाएं प्राचीन काल में एलियन की संभावनाओं के नजरिये से सुनना, पढ़ना एक अलहदा रोमांच पैदा करती हैं। इस रोमांच में वह जिज्ञासा भी पैदा होती है, जो यह सोचने पर विवश करती है कि क्या ऐसा किसी दूसरे ग्रह के प्राणियों के माध्यम से संभव होता रहा ...। क्या तब दूसरे ग्रह के प्राणी इस धरा पर आते थे जिन्हें हम आज एलियन संबोधन से जानने का प्रयास कर रहे हैं ! ...
                            - मोहन थानवी


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