पशु 

राह में एक सज्जन बाबा मिले। रोका, कहा, जानते हो। तुम्हारी बोई फसल वह चर रहे हैं।
 
जवाब मेरा - बाबा वह फसल चरने लायक हैं, चरने दो। 

बाबा सज्जन - तुम्हें दुख नहीं होता? 

जवाब था मेरा - खुशी होती है। मैं आदमी हूं कुछ बोता सकता हूं। वह पशु हैं। वह मेरे बोए को चरते हैं।

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निकम्मा

इन निकम्मों का नाम मत लो मेरे सामने। उनको ही कागजों का ये पुलिंदा पकड़ा दो। करता रहे काम। और हां, तुम जाओ, मेरे नए मकान में तराई करके आओ। और हां ऊपर टंकी पूरी भर कर आना। सिलेंडर भी चेक कर लेना। खाली हो रहा हो तो सुबह भरवा देना। और बाहर स्टाफ को किसी को नहीं बताना तुम कहां जा रहे हो। करने दो इनको काम निकम्मे कहीं के।
- Mohan Thanvi