सार्वजनिक संस्थाओं पर आयकर::::::::::::::
हमारे देश में हर सार्वजनिक काम के लिए संस्थाएँ रजिस्टर कराकर सार्वजनिक काम करने की परम्परा रही है जैसे:-
1. मोहल्ला विकास समिति
2. कॉम्प्लेक्स मेंटेनेंस सोसाइटी
3. ट्रेड या व्यापार या प्रोफेशनल एसोसिएशन जैसे बार एसोसिएशन, व्यापार मंडल
3. कर्मचारी वेलफेयर एसोसिएशन
4. कॉलेज व स्कूलों की ओल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन
5. ग्रामीण युवा मंडल
6. खेल एसोसिएशन
7. विभिन्न समाजों के संगठन
8. मंदिर अखाड़ों आदि के ट्रस्ट
हमारे देश में ऐसी अनेक सार्वजनिक संस्थाएं व ट्रस्ट हैं जिनमें से कुछ का रजिस्ट्रेशन है, कुछ का कहीं भी रजिस्ट्रेशन नहीं है, कुछ के बैंक खाते हैं, कुछ के बैंक खाते नहीं हैं।
अधिकांश संस्थाएं न तो इनकम टैक्स की रिटर्न फ़ाइल करती, न अपना कटा हुआ टीडीएस रिफंड लेती, न टीडीएस काटती हैं।
वर्तमान समय में सरकार के नियम बड़े सख्त हो गए हैं। बैंक खाते रखने पड़ेंगे, लेन देन बैंकों के माध्यम से करना पड़ेगा। ऐसी दशा में सभी संस्थाओं को पैन कार्ड लेना चाहिए, ठीक से खाते मेंटेन करने चाहिएं, चार्टर्ड अकाउंटेंट से हर वर्ष खातों की ऑडिट करानी चाहिए एवम् आयकर रिटर्न भरनी चाहिए।
अगर कहीं टीडीएस कटा हो तो रिफंड लेना चाहिए।
अगर संस्था कोई ऐसा भुगतान कर रही है जिस पर टीडीएस काटने की लायबिलिटी बनती है तो टीडीएस काटकर निर्धारित समय में टीडीएस सरकार के पास जमा कराएँ तथा टीडीएस की रिटर्न समय पर दाखिल करें।
वर्तमान समय की जटिलताओं को देखते हुए अगर संस्था के पदाधिकारी स्वयं नियमों को समझते हैं तो ठीक है वरना संबंधित आयकर अधिकारी से संपर्क करें या अच्छे सीए या कर सलाहकार से संपर्क करें। नियमित अकाउंटेंट रखें।
"" कुछ संस्थाओं की आय तो म्यूच्यूअल बेनिफिट सोसाइटी के सिद्धांत पर कर मुक्त होगी लेकिन अगर किसी संस्था के पास अपने मेंबर्स के अलावा अन्य किसी स्रोत से पैसा आ गया तो वह संस्था म्यूच्यूअल बेनिफिट सोसाइटी की परिभाषा से बाहर हो जाएगी तथा उस संस्था को धारा 12ए के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कराने पर ही आय, कर मुक्त होगी अन्यथा आय टैक्सेबल हो जाएगी।। ""
-- CA sudhish sharma
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