BIKANER पानी रे पानी तेरा निकास कैसा... नालियां पाताल तक; सीवरलाइन भूतल तक

*खबरों में बीकानेर*/

बीकानेर 12/1/18। शहर में; शहर की बाहरी कॉलोनियों; बस्तियों में पानी निकासी की माकूल व्यवस्था है ? यक्ष प्रश्न का उत्तर न मिला है; न ही मिलने के आसार हैं। हमारे शहर की अधिकांश नाले-नालियां जमींदोज हो चुके या हो रहे हैं। सीवरलाइनें इमारतों के भूतल व नींवों को नेस्तनाबूत करने पर तुली हैं। शहर के मशहूर  दरवाजे यथा कोटगेट; गोगागेट ( दिल्ली गेट ) ; जस्सूसरगेट; नत्थूसरगेट; शीतलागेट; विश्वकर्मागेट आदि के ईर्दगिर्द जमा पानी या कूड़ा करकट हालात बयां करने को काफी हैं । शहर का हृदय  स्थल कहे जाने वाले कोटगेट पर ही जब नालियों; सीवर और नाले का पानी बहता मिले तो गलियों - मोहल्लों के बारे में बिन कहे ही  बयान हो जाता है  बीकानेर आने वालों; यहां रहने वालों के अलावा बीकानेर का केवल नाम सुनने वालों ने भी कोटगेट का गुणगान अवश्य सुना है  । यहां की सड़क कम गड्ढ़े अधिक; यहां ट्रैफिकपुलिस-छत्री पर ही आरूढ़ चौपाये; गेट से सटते एकत्र कचरे के ढेर शहरवासियों के लिए अब कौतूहल कहां रहा ! कोढ़ में खाज रेलवे लाइन के गिर्द फेंका जाने वाला कचरा। इस पर तुर्रा यह कि "हमलोग" क्लीन सिटी के खिताब हासिल करने को गिर-पड़ जाने भी आगे ओंधेमुंह हुए जाते हैं। मानो कभी किसी सिटी प्लानर ने शहर की ऐसी दशा होने कारणों-निवारणों पर गौर करते सुव्यवस्थित पानी निकासी की ओर चिंतन किया ही न हो। नई कॉलोनियों में भी कमोबेश ऐसे ही हालात तो यही दर्शाते हैं; जितना विस्तार शहर का उससे अधिक फैलाव समस्याओं का हो जाता है। शहर की एक गली-मोहल्ले चौक में तो हाशत ये हुई कि लोग घरों में सीवरलाइन का सड़ांध मारता पानी पसर जाने के कारण आसपास इलाके में परिचितों के घरों में याचक बन पहुंचे और शौचालय की कमी पूरी करने की जुगत लड़ाई। हद हो गई; हमलोग अभी भी समस्या की गंभीरता से गाफिल हैं और हमारे ही द्वारा गठित सरकार तथा हमारे ही भाई-बहिनों द्वारा संचालित प्रशासन गहरी नींद में स्वच्छ भारत की एक महत्वपूर्ण इकाई बीकानेर की सफाई अभियान की सफलता के सपनों में लीन हैं। हमें पानी निकासी व्यवस्था सुधारते हुए त्वरित कार्यवाहियों के द्वारा शहर को व्यवस्थित बनाने की दरकार है वरना... दो नाले और चार जगह सीवरलाइन चॉक होने पर अथवा 70/80 mm बारिश होने पर हमलोग बेहाल हो जाएंगे।
- मोहन थानवी

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