गढ़ों में गुमटियां
ज्यों प्रहरियों की यारों  
 जलसों में गुटबंदी  
त्यों  
रहबरों की यारों        
जख्मे जिगर कह रहे थे
शहर पनाह पे
चिल्ला के
नजराना शय ही ऐसी है
सनद रहे यारों