काटा और उलट गया


 काटा और उलट गया  

आज कतिपय लोग अपनी बात से, अपने द्वारा किए गए काम से, अपने बयान से, अपने वक्तव्य से, अपने वादों से मुकर जाते हैं। दरअसल ऐसी प्रवष्त्ति नई नई पैदा नहीं हुई है। प्राचीन काल से ऐसे लोग समाज और राज में रहे हैं। मैंने ऐसा तो नहीं कहा था, ... कहने में देर नहीं लगाते। फिर आज तो मीडिया द्वारा प्रचार प्रसार का जमाना है और ऐसे में कोई बात पलभर में दुनिया भर में चर्चा का विषय बन जाती है। तुर्रा यह कि अधिकांश विवादित मामलों में संबंधित पक्ष यह कह कर पल्ला झाड़ने का प्रयास करता है कि मेरे या हमारे कहने का गलत अर्थ लगाया गया है। हमारे कहे को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। बड़े बुजुर्गों की बात याद करें तो ‘‘काटा और उलट गया’’ के माइने समझ में आते हैं। बुजुर्ग कह गए हैं, काटा और उलट गया। उलट या पलट जाने के माइना भी हर बात की तरह एकाधिक हैं। उलट जाना यानी सर्प की तरह काट कर उलट जाना । किसी काम को करके मुकर जाना। अपने अनुभवों के इशारों से बुजुर्गों ने ऐसे लोगों से सचेत रहने की नसीहत दी है।

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